जबलपुर : केरल में जो प्रकृति ने महाविनाशलीला मचायी उसमें भारी नुकसान प्रदेश को हुआ है. केरल में मूसलाधार बारिश और बाढ़ से हुई भयंकर तबाही ने मुझे चिंतित कर दिया है. पिछले 15 दिनों में बाढ़ और भू-स्खलन में 350 से ज्यादा लोगों की मौत गई है. करीब 14 जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. नदियां उफान पर 12 जिलों को प्रशासन ने रेड अलर्ट पर रखा है. गांवों का शहरों से पूरी तरह संपर्क जुट गया है.
इस महा-तबाही के लिए हमें एक जुट होकर अपना जितना हो सके उतना योगदान देना चाहिए. केरल में बाढ़ व भूस्खन की वजह से सड़कें जमीन के अंदर धसक गयीं. उफान पर चढ़ी नदियों ने अपने भयंकर जलप्रवाह में कई बड़े पूलों को तोड़ दिया है. सेना और एनडीआरएफ की टीमें निरंतर लोगों को राहत पहुंचने में जुटी हुईं. केरल में इस बाढ़ की तबाही ने पिछले 94 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. बाढ़ की इस विभीषिका में 6 लाख से ज्यादा लोगों को अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह विस्थापित होना पड़ा है.
माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा कर जायजा लिया और बाढ़ पीड़ितों को 500 करोड़ रुपए की राहत राशि देने की घोषणा की है. प्रकृति के इस कहर में करीब 20 हज़ार करोड़ का नुकसान प्रदेश का हुआ है.
मानवीयता के नाते हमारा भी फ़र्ज़ बनता है कि इस विपदा से उभरने के लिए केरल के नागरिकों की सहायता करें. केरल में बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने के लिए सेना, एयरफोर्स, केरल पुलिस, एनडीआरएफ, आरएसएस और कई गैर सरकारी संगठनों के कार्यकर्ता निरंतर दिन-रात राहत कार्य कर रहे हैं. कई राज्य सरकारों ने भी आर्थिक मदद देने की घोषणा की है. केरल बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के लिए 1600 शिवरों में हर धर्म, समुदाय व सभी वर्ग के लोग एक साथ मिल जुलकर काम कर रहे हैं.
मैं मानवीयता के नाते देश के नागरिकों से अपील करता हूं कि आप भी अपने स्तर से केरल के नागरिकों को इस त्रासदी से उभरकर बाहर आने में मदद करें, आपका छोटा सा योगदान किसी का जीवन पुनर्स्थापित कर सकेगा.
लेखक: विधायक श्री अशोक ईश्वर रोहणी ( जबलपुर कैंट )